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कुछ सवाल खुदसे ही

आदमी लाख दाग़दार हो,
औरत के दामन पर उसे दाग़ मंजूर क्यों नहीं होता?
औरत ही हमेशा क़सूरबार,
इज़्ज़तदार आदमी कभी क़सूरबार क्यों नहीं होता?
औरत ग़ैर आदमी के साथ हो,
तो बे-हया जैसे लाखों इल्ज़ाम उसपे लगा देतें है,
आदमी ग़ैर औरत के साथ हो,
तो उसके सर कोई बे-हयाई इल्ज़ाम क्यों नहीं होता?
औरत के घर संभालने पर भी,
एक ग़लती होने पर बे-रहमी से मारा-पीटा जाता है,
औरत की इज़्ज़त ना करने पर,
आदमी कोई सज़ा का हक़दार क्यों नहीं होता है?
हर बार औरत ही क्यों,
आदमी की तामाम ग़लती का खामियाजा भुगतती है,
हमारे इस समाज में औरत को,
आदमी की बराबर का दर्ज़ा हासिल क्यों नहीं होता है?

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13 Comments

kashish

12-Feb-2023 11:24 AM

nices

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madhura

01-Feb-2023 02:36 PM

behtarin

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shweta soni

17-Jul-2022 11:45 PM

Bahot sunder

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